दरभंगा ने सीखा रानी दुर्गावती से लड़ने का जज्बा, वीरांगना की वेश में निकला शौर्य यात्रा

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दरभंगा, देशज टाइम्स। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से स्थानीय एमआरएम महाविद्यालय में वीरांगना रानी दुर्गावती की 500 वीं जन्म जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित एवम रानी दुर्गावती, स्वामी विवेकानंद और मां सरस्वती के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर प्राचार्य डॉ. रूपकला सिन्हा, हिंदी की प्राध्यापिका प्रो. बिंदु चौहान, अभाविप की प्रदेश छात्रा प्रमुख पूजा कश्यप, प्रदेश सह मंत्री उत्सव पराशर और विभाग सह संयोजक राहुल सिंह की ओर से किया गया।

प्राचार्य रूपकला सिन्हा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी छात्राओं अपने व्यक्तित्व में 16वी शताब्दी की रानी दुर्गावती का छवि को अपने अंदर लाना है। मुगल शासक से तीनों तरफ से उनका राज्य घिरा था। साथ ही कई यद्ध हुई तब भी वो मुगल के सामने वो झुकी नहीं और स्वतंत्र रही।

प्रो. बिंदु चौहान ने रानी दुर्गावती की जीवनी एवं उनके द्वारा किए गए कृत्य को विस्तार से छात्राओं को बताया, उन्होंने कहा कि व्यक्ति के द्वारा किया गया कार्य महान होता ऐसी ही रानी दुर्गावती के जयंती मनाकर विद्यार्थी परिषद ने समाज को एक अच्छा संदेश दिया है जो काफी सराहनीय है।

प्रदेश छात्रा प्रमुख पूजा कश्यप ने कहा कि रानी दुर्गावती एक शस्त्र और शास्त्र दोनों में ही निपुण थी। और वो अपने प्रजा और राष्ट्र के लिए समर्पित थी। रानी दुर्गावती की शादी 18 वर्ष में हुई और छह साल बाद उनके पति की मृत्यु हो गई। उनका एक पुत्र था जिनका नाम वीर नारायण था, रानी दुर्गावती अपने जीवन में मुगलों के साथ में बहुत सारी युद्ध लड़ी। और विजय प्राप्त की और अंतिम छन में खुद की खंजन से वो मृत्यु प्राप्त करना सही समझी ना की अकबर के द्वारा मृत्यु होना।

प्रदेश सह मंत्री उत्सव पराशर ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा की रानी दुर्गावती एक ऐसी वीरांगना थी जो विविधता में एकता का भाव लेकर चली और उन्होंने मुगल शासक अकबर के कभी घुटने नही टेकी,ये ऐसी वीरांगना थी जिन्होंने तीन बार मुगल सेना को हराया था। उनको संपूर्ण देश नारीशक्ति के शौर्य स्वाभिमान के प्रतीक , मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव याद किया जाएगा।

विभाग सह संयोजक (दरभंगा-मधुबनी ) राहुल कुमार सिंह ने कहा कि बहादुरी और साहस का महान आदर्श प्रस्तुत करने वाली महान वीरांगना रानी दुर्गावती का बचपन काल से ही वो शस्त्र और शास्त्र में निपुण थी। और वो अपने जीवन में बहुत बार युद्ध की और हर बार मुगल पर जीत हासिल की।

साथ ही उनके राज्य में सारे प्रजा खुश थे। और रानी दुर्गावती को भगवान की तरह प्रजा सम्मान करती थी, अंतिम में भी वो स्वतंत्रता के साथ रही ना की अकबर की स्वाधीनता स्वीकार की और अंतिम समय युद्ध में वो खुद से खुद के कटार से मृत्यु प्राप्त की।
कार्यक्रम का संचालन नगर सह मंत्री रौशनी कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन एम आर एम इकाई अध्यक्ष कनीना कुमारी ने किया।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से नगर सह मंत्री नीली रानी, इशिता कुमारी, खुशबू झा, अनामिका, कुमारी खुशी, निशा कुमारी, स्नेहा कुमारी,अभिलाषा चौधरी,सुजाता कुमारी, शोध प्रमुख वागीश झा, नगर मंत्री अमित शुक्ला, सह मंत्री विकाश झा, रवि यादव, आलोक मिश्र, विक्रम कुमार, शशि यादव, सूर्यकांत सिंह मंगल सहित सैकड़ों छात्र– छात्रा एवम कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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