Darbhanga CM Science College में कंप्यूटर नेटवर्किंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल कंप्यूटिंग के साथ ICT की भूमिका पर National Discussion शुरू

spot_img

Published:

spot_img

मुख्य बातें: बहुआयामी शोध एवं अनुसंधान में महत्वपूर्ण है आईसीटी की भूमिका: प्रो नायक, सीएम साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग में शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

दरभंगा, देशज टाइम्स। प्रतिस्पर्धा के वर्तमान युग में बहुआयामी शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग एवं इसकी प्रभावकारी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। उक्त बातें कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष प्रो ए के नायक ने सोमवार को सीएम साइंस कॉलेज के पीजी भौतिकी विभाग एवं विनियम रिसर्च एसोसिएशन, धनबाद (झारखंड) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन अपना व्याख्यान देते हुए कहा।

‘रोल ऑफ़ आईसीटी इन मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च’ विषय पर अपने व्याख्यान में उन्होंने शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग के विभिन्न आयामों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए जानकारी दी कि कंप्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उभरती हुई तकनीक का एकीकरण करते हुए इस क्षेत्र में बेहतर कार्य किया जा सकता है।

अपने व्याख्यान में उन्होंने कंप्यूटर नेटवर्किंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल कंप्यूटिंग, ग्रीन कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, नैनो कंप्यूटिंग, स्मार्ट कंप्यूटिंग, आईओटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिजनेस इंटेलिजेंस, कंप्यूटेशनल इंटेलिजेंस, इमोशनल इंटेलिजेंस आदि के बारे में बताते हुए बहुआयामी शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में तकनीक की उपयोगिता को विशेष रूप से रेखांकित किया।

उन्होंने बताया कि कंप्यूटर का ग्लोबल सस्टेनेबल डेवलपमेंट विभिन्न एजेंडा पर काम करने के लिए मल्टी डिसीप्लिनरी भूमिका निभा सकता है। साथ ही इसमें रोजगार की भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया के पटना चैप्टर के प्रेसिडेंट प्रो शम्स राजा ने अपने व्याख्यान में कहा कि आईसीटी की मदद से सर्वेक्षण करने से समय और लागत की बचत होती है। साथ ही यह तुलनात्मक रूप से एक बड़ा नमूना दर्शकों तक आसानी से पहुंचने में हमारी मदद करता है। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर के साथ डेटा का विश्लेषण अनुसंधान में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के सबसे व्यापक उपयोगों में से एक है।

इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के संरक्षक सह प्रधानाचार्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि सूचना एवं संचार क्रांति के युग के हिसाब से पाठ्यक्रम में शामिल विषय के ज्ञान के महत्व एवं इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए सेमिनार के विषय का चयन किया गया है।

उन्होंने कहा कि सेमिनार के निर्धारित विषय के विभिन्न उपखंडों पर आधारित विषयों पर विषय विशेषज्ञों का व्याख्यान छात्र-छात्राओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। सबसे खास बात यह है कि महाविद्यालय में पहली बार पड़ोसी राज्य झारखंड की प्रमुख शोध संस्थान विनियम रिसर्च एसोसिएशन ने सीएम साइंस कॉलेज के साथ हाथ मिलाकर छात्रों का हित साधने के लिए आगे आया है। हम उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं।

डा स्वर्णा श्रेया एवं डा अभिषेक शेखर के संचालन में आयोजित संगोष्ठी के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता सीएम साइंस कॉलेज के सेवानिवृत्त भौतिकी विभागाध्यक्ष डा एस एन सिंह ने की।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि संगोष्ठी के लिए निर्धारित विषय स्नातकोत्तर में अध्यनरत छात्रों के अनुरूपण एवं प्रारूपण विषय पर आधारित होने के कारण यह सेमिनार न केवल छात्रों के लिए, बल्कि समाज के आईटी प्रोफेशनल्स के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगा।

मौके पर विनियम रिसर्च एसोसिएशन, धनबाद (झारखंड) की अध्यक्ष उमा गुप्ता ने कहा कि पाठ्यक्रम आधारित विषयों को केंद्र में रखकर आगे भी ऐसी संगोष्ठी आयोजित की जाती रहेंगी।

उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो अरुण कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे।धन्यवाद ज्ञापन विभाग के वरीय शिक्षक सह संगोष्ठी के आयोजन सचिव डा उमेश कुमार दास ने किया।

मौके पर संगोष्ठी के संयुक्त आयोजन सचिव डा अजय कुमार ठाकुर, विभाग के शिक्षक डा सुजीत कुमार चौधरी, डा रश्मि रेखा, डा रवि रंजन, प्रवीण कुमार झा, चेतकर झा सहित महाविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र -छात्राओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। संगोष्ठी के दूसरे दिन सीएमआरआई, बैंगलोर के प्रोफेसर सह इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के पूर्व सेक्शनल प्रेसिडेंट प्रो पारसनाथ सिंह अपना व्याख्यान देंगे।

spot_img

Related articles

Recent articles

error: कॉपी नहीं, शेयर करें