Darbhanga CM College से प्रिसिंपल प्रो. Mushtaq Ahmed ने पूरी दुनिया से कहा, जीवन की रहस्य, ब्रहांड की हकीकत का आइना है मीर तकी मीर की शायरी…इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या, आगे आगे देखिए होता है क्या

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मुख्य बातें: मीर तकी मीर की शायरी जीवन के रहस्य एवं ब्रहमाण्ड की हकीकत का आइना: मुश्ताक अहमद, प्रधानाचार्य सीएम कॉलेज
अहमद मीर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के वाहक: प्रो.चंद्रभानु
सीएम कॉलेज, दरभंगा में दो दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय मीर सेमिनार का उद्घाटन

दरभंगा, देशज टाइम्स। विश्व साहित्य भंडार को जिन कवियों और साहित्यकारों ने अपनी कृतियों से भरने का काम किया है उनमें उर्दू के मीर तकी मीर को एक विशेष स्थान प्राप्त है और उसका कारण यह है कि मीर जीवन के रहस्य एवं ब्रहमाण्ड की हकीकत को आईन बनाकर अपनी शायरी में पेश किया है।

उक्त बातें प्रो. मुश्ताक अहमद, प्रधानाचार्य सीएम कॉलेज, दरभंगा ने कहीं। प्रो. अहमद महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय मीर सेमिनार के उद्घाटन सत्र में अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे।

प्रो.अहमद ने कहा कि मीर तकी मीर की 300वीं जयंती के अवसर पर उर्दू विभाग के द्वारा “मीर तकी मीर: आज और कल’ विषय पर सेमिनार का उद्देश्य उर्दू के स्थापित कवि मीर की शायरी से नई पीढ़ी को अवगत कराना है।

डॉ. अहमद ने कहा कि मीर की शायरी केवल उनके समय की शायरी नहीं है बलकि आज भी उसकी प्रासंगिकता बरकरार है। उनकी शायरी में ऐतिहासिक बोध और मानवीय मूल्यों के गुण मौजूद हैं। ऐसे शायर बिरले ही जन्म लेते हैं।

मुख्य अतिथि के तौर पर हिंदी के आलोचक प्रो. चन्द्रभानू प्रसाद सिंह ने कहा कि मीर तकी मीर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के वाहक कवि हैं। उन्होंने विशुद्ध रूप से भारतीय संत व सूफी परम्परा को आगे बढ़ाने का काम किया और सनातन मूल्यों को अपने काव्य का बिम्ब बनाया। यही कारण है कि मीर तीन सौ सालों के बाद भी जीवित हैं और उनकी शायरी का जादू सर चढ़ का बोल रहा है।

उर्दू साहित्यकार व कवि प्रो. अब्दुल मन्नान तर्जी ने अपनी कविता के माध्यम से मीर की शायरी और उनके जीवन पर प्रकाश डाला और उनकी शायरी को उर्दू साहित्य सागर का मोती करार दिया।

प्रारंभ में उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. खालिद उसमानी ने तमाम अतिथियो का स्वागत किया और प्रथम सत्र का संचालन डॉ. अब्दुलहई ने किया।

जानकारी के अनुसार, यह दो दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सेमिनार 9-10 अक्टूबर 2023 ऑफ लाईन और ऑन लाइन दोनों रूप में संचालित हो रहा है। आज प्रथम सत्र में डॉ. मुजाहिदुल इस्लाम (लखनऊ), डॉ. कसीम अख्तर (किशनगंज), डॉ. तौकीर आलम (पटना), डॉ0 फैजान हैरद (दरभंगा), डॉ. उल्फत हुसैन (बेगुसराय), खुर्शीद आलम अंसारी (दरभंगा) शामिल हुए। जबकि दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ. मुजाहिदुल इस्लाम ने की।

चूंकि यह सेमिनार ऑन लाइन एवं ऑफ लाइन दोनों रूप में आयोजित है, जिसमें ऑन लाइन नसर मल्लिक (डेन्मार्क), वाला जमाल असीली (मिर्स), महमूद अहमद काविश (अमेरिका), शाह जहां बेगम (आंध्र प्रदेश), फहीमुद्दीन (राजस्थान), हेना गुलाब (हैदराबाद), हैदरी बानो (प्रयागराज ) आदि ने अपना पेपर पढ़ा।

इस इलमी व साहित्यिक कार्यक्रम में दरभंगा और आप पास के अनेकों महाविद्यालयों के शिक्षक और शोधकर्ता शामिल हुए और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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